2025 का यूनियन बजट: इन क्षेत्रों पर ध्यान दें
यूनियन बजट 2025: एक व्यापक विश्लेषण
भारत सरकार ने हाल ही में यूनियन बजट 2025(Union Budget 2025: Some key highlights) पेश किया है, जो देश की आर्थिक दिशा और प्राथमिकताओं को निर्धारित करने वाला एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। यह बजट वर्तमान आर्थिक चुनौतियों, वैश्विक अनिश्चितताओं और घरेलू विकास के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। इस लेख में, हम यूनियन बजट 2025 के प्रमुख प्रावधानों, इसके आर्थिक प्रभाव और विभिन्न क्षेत्रों पर इसके प्रभाव का विस्तार से विश्लेषण करेंगे।
केंद्रीय बजट 2025: प्रमुख विशेषताएं और आर्थिक दिशा
यूनियन बजट 2025(Union Budget 2025: Some key highlights) का मुख्य फोकस “समावेशी विकास और सतत विकास” पर है। सरकार ने इस बजट के माध्यम से आर्थिक विकास को गति देने, रोजगार सृजन को बढ़ावा देने और सामाजिक कल्याण को सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा है। बजट में कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी ढांचे और रक्षा जैसे क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण आवंटन किए गए हैं।
केंद्रीय बजट 2025 ने भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं को संबोधित करते हुए कई महत्वपूर्ण प्रावधान प्रस्तुत किए हैं। इस लेख में, हम बजट की प्रमुख विशेषताओं, इसके द्वारा निर्धारित आर्थिक दिशा, विभिन्न क्षेत्रों में आवंटन, और इसके व्यापक आर्थिक प्रभावों का विश्लेषण करेंगे।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत इस बजट का मुख्य उद्देश्य आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना, मध्यम वर्ग को राहत प्रदान करना, और विभिन्न क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देना है। बजट में आयकर में कटौती, कृषि, बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य, शिक्षा, और रक्षा जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण आवंटन किए गए हैं।
आयकर में बदलाव:
केंद्रीय बजट 2025(Union Budget 2025: Some key highlights) में नई कर व्यवस्था के तहत ₹12 लाख तक की वार्षिक आय पर कोई आयकर नहीं लगेगा। ₹12 लाख से अधिक की आय पर संशोधित कर स्लैब के अनुसार कर लगाया जाएगा। पुरानी कर व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
कृषि क्षेत्र के लिए प्रावधान:
कृषि को बढ़ावा देने के लिए “प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना” की शुरुआत की गई है, जो 100 कम फसल उत्पादकता वाले जिलों में लागू होगी। इस कार्यक्रम से 1.7 करोड़ किसानों को लाभ होगा, जिससे कृषि उत्पादकता में वृद्धि, सिंचाई सुविधाओं में सुधार, और ऋण की उपलब्धता में वृद्धि होगी।
बुनियादी ढांचे का विकास:
बजट में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 25% की वृद्धि के साथ आवंटन किया गया है। सरकार का उद्देश्य सड़कों, रेल, हवाई अड्डों, और अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश बढ़ाकर आर्थिक विकास को गति देना है।
स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए आवंटन:
स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए बजट में “सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0” कार्यक्रम के तहत पोषण समर्थन को बढ़ाया गया है। इसके अलावा, स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की पहुंच और गुणवत्ता में सुधार के लिए अतिरिक्त धनराशि आवंटित की गई है।
शिक्षा और कौशल विकास:
शिक्षा के क्षेत्र में, अगले 5 वर्षों में सरकारी स्कूलों में 50,000 अटल टिंकरिंग लैब्स स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ ही, “पीएम रिसर्च फेलोशिप” के तहत आईआईटी(IIT) और आईआईएससी(IISc) में तकनीकी अनुसंधान के लिए 10,000 फेलोशिप प्रदान की जाएंगी।
रक्षा क्षेत्र के लिए प्रावधान:
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए, बजट में स्वदेशी रक्षा उत्पादन और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। इसका उद्देश्य रक्षा उपकरणों के आयात पर निर्भरता को कम करना और घरेलू उद्योग को सशक्त बनाना है।
राजकोषीय अनुशासन और विकास के बीच संतुलन:
सरकार ने राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने और सार्वजनिक व्यय को प्रबंधित करने के लिए कई उपाय प्रस्तावित किए हैं। इसमें कर राजस्व बढ़ाने और गैर-जरूरी व्यय में कटौती करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
मुद्रास्फीति पर प्रभाव:
बजट में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए आपूर्ति श्रृंखला में सुधार और आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी दरों में कमी जैसे उपाय शामिल हैं।
एमएसएमई क्षेत्र के लिए समर्थन:
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई-MSME) क्षेत्र के विकास के लिए बजट में कई प्रावधान किए गए हैं, जैसे कि ऋण सुविधाओं का विस्तार और तकनीकी उन्नयन के लिए प्रोत्साहन।
सामाजिक कल्याण योजनाएं:
मनरेगा(MNREGA), पीएम आवास योजना(PM Awas Yojana) और सामाजिक सुरक्षा पेंशन जैसी योजनाओं के लिए बजट में पर्याप्त आवंटन किया गया है।
गरीबी और असमानता को दूर करने के उपाय:
गरीबी और असमानता को दूर करने के लिए विशेष योजनाएं शुरू की गई हैं, जैसे कि ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का विस्तार।
लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण:
महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए विशेष योजनाएं और आवंटन किए गए हैं।
पर्यावरणीय स्थिरता और जलवायु परिवर्तन:
हरित प्रौद्योगिकी(Green Technology) और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाएं शुरू की गई हैं।
डिजिटल समावेशन:
डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देने और डिजिटल विभाजन को कम करने के लिए कई उपाय प्रस्तावित किए गए हैं।
बजट का व्यापक आर्थिक प्रभाव:
बजट में मध्यम वर्ग के लिए आयकर में कटौती से घरेलू मांग में वृद्धि की उम्मीद है, जो आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करेगी। हालांकि, बढ़ती मांग से मुद्रास्फीति(Inflation) पर दबाव बढ़ सकता है, जिसे नियंत्रित करने के लिए सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक को सतर्क रहना होगा।
वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के संदर्भ में
वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच, बजट में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए प्रोत्साहन दिए गए हैं। इसके अलावा, बजट में अनुसंधान, विकास, और नवाचार के लिए ₹20,000 करोड़ का आवंटन किया गया है, जो भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने में मदद करेगा।
विभिन्न क्षेत्रों में प्रमुख आवंटन:
कृषि:
कृषि क्षेत्र में, “प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना” के तहत 1.7 करोड़ किसानों को लाभान्वित करने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। इसके अलावा, किसान क्रेडिट कार्ड(KCC) के माध्यम से 7.7 करोड़ किसानों, मछुआरों, और डेयरी किसानों को ₹5 लाख तक के अल्पकालिक ऋण की सुविधा प्रदान की जाएगी।
बुनियादी ढांचा:
बजट में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 25% की वृद्धि के साथ आवंटन किया गया है, जिसमें सड़कों, रेल, हवाई अड्डों, और अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश शामिल है। इसका उद्देश्य आर्थिक विकास को गति देना और रोजगार के अवसर पैदा करना है।
स्वास्थ्य:
स्वास्थ्य क्षेत्र में, “सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0” कार्यक्रम के तहत पोषण समर्थन को बढ़ाया गया है। इसके अलावा, स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की पहुंच और गुणवत्ता में सुधार के लिए अतिरिक्त धनराशि आवंटित की गई है।
शिक्षा और कौशल विकास:
केंद्रीय बजट 2025(Union Budget 2025: Some key highlights) में शिक्षा और कौशल विकास को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ की गई हैं। सरकार का मुख्य उद्देश्य छात्रों को तकनीकी और व्यावसायिक रूप से सक्षम बनाना है, जिससे वे रोजगार योग्य बन सकें और भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान दे सकें।
1. स्कूल और उच्च शिक्षा में सुधार
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अटल टिंकरिंग लैब्स: अगले 5 वर्षों में 50,000 सरकारी स्कूलों में अटल टिंकरिंग लैब्स स्थापित की जाएंगी। इन लैब्स का उद्देश्य छात्रों में वैज्ञानिक सोच और नवाचार को बढ़ावा देना है।
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स्मार्ट क्लासरूम और डिजिटल शिक्षा: स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम और डिजिटल लर्निंग संसाधनों को बढ़ावा देने के लिए ₹5,000 करोड़ का आवंटन किया गया है।
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नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 का कार्यान्वयन: बजट में NEP 2020 के तहत विभिन्न सुधारों को लागू करने के लिए विशेष आवंटन किया गया है। इसमें शिक्षकों का प्रशिक्षण, पाठ्यक्रम में सुधार, और नई तकनीकों का समावेश शामिल है।
2. उच्च शिक्षा और अनुसंधान
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पीएम रिसर्च फेलोशिप: IITs, IIMs और IISc में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए 10,000 फेलोशिप प्रदान की जाएंगी।
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राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (NRF): अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए NRF को ₹10,000 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है।
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स्किल इंडिया मिशन(Skill India Mission): व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण को बढ़ाने के लिए 100 नए कौशल विकास केंद्र खोले जाएंगे।
लघु एवं मध्यम उद्योग (MSME) क्षेत्र के लिए प्रावधान:
MSME सेक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था(Indian Economy) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो बड़े पैमाने पर रोजगार प्रदान करता है। इस बजट में MSME क्षेत्र को समर्थन देने के लिए निम्नलिखित घोषणाएँ की गई हैं:
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किफायती ऋण: MSME के लिए क्रेडिट गारंटी योजना(Credit Guarantee Scheme) को और मजबूत किया गया है। ₹50,000 करोड़ की नई योजना के तहत कम ब्याज दरों पर ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।
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उद्योग : डिजिटल और तकनीकी नवाचार को अपनाने के लिए छोटे उद्योगों को प्रोत्साहन दिया जाएगा।
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ई-कॉमर्स(E-Commerce) और एक्सपोर्ट प्रमोशन(Export Promotion): MSME के लिए एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने हेतु नए प्लेटफार्म और बाजार उपलब्ध कराए जाएंगे।
कराधान और वित्तीय प्रावधान:
1. प्रत्यक्ष कर (Direct Taxes)
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आयकर छूट: नई कर व्यवस्था के तहत ₹12 लाख तक की वार्षिक आय पर कोई कर नहीं लगेगा।
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वरिष्ठ नागरिकों को राहत: 75 वर्ष से अधिक उम्र के पेंशनभोगियों को टैक्स रिटर्न दाखिल करने से छूट दी गई है।
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स्टार्टअप और नई कंपनियों के लिए कर लाभ: स्टार्टअप कंपनियों के लिए कर लाभ की समय सीमा 2027 तक बढ़ा दी गई है।
2. अप्रत्यक्ष कर (Indirect Taxes)
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GST दरों में बदलाव: कुछ आवश्यक वस्तुओं पर GST दरों में कमी की गई है।
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कस्टम ड्यूटी(Custom Duty) में छूट: घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कस्टम ड्यूटी में कमी की गई है।
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ब्लैक मनी और कर चोरी पर सख्ती: डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने और कर चोरी रोकने के लिए नए नियम लागू किए गए हैं।
सामाजिक कल्याण और समावेशी विकास:
1. गरीब और वंचित वर्ग के लिए योजनाएँ
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PM गरीब कल्याण अन्न योजना: अगले 3 वर्षों तक मुफ्त अनाज वितरण की योजना जारी रहेगी।
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मनरेगा (MNREGA): ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत ₹1 लाख करोड़ का आवंटन किया गया है।
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PM आवास योजना: शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 10 लाख नए घर बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
2. महिला सशक्तिकरण और युवा कल्याण
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महिला उद्यमिता को बढ़ावा: महिला स्वयं सहायता समूहों को ₹20,000 करोड़ की वित्तीय सहायता दी जाएगी।
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बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना: इस योजना के लिए बजट में 20% की वृद्धि की गई है।
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युवाओं के लिए स्टार्टअप योजना(Startup): युवा उद्यमियों के लिए ₹5,000 करोड़ का नया फंड स्थापित किया जाएगा।
पर्यावरणीय स्थिरता और हरित विकास:
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सौर ऊर्जा मिशन(Solar Energy Mission): 100 गीगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए नए प्रोजेक्ट लॉन्च किए गए हैं।
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इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन: EV खरीदने पर सब्सिडी और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए ₹15,000 करोड़ का आवंटन।
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हरित हाइड्रोजन मिशन(Green Hydrogen Mission): भारत को हरित ऊर्जा में आत्मनिर्भर बनाने के लिए ₹30,000 करोड़ की योजना।
निवेश और व्यापार को बढ़ावा:
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FDI को बढ़ावा: विदेशी निवेशकों के लिए नियमों को सरल बनाया गया है।
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मेक इन इंडिया(Make In India): घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए नई औद्योगिक नीति लागू की गई है।
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डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इकोसिस्टम: डिजिटल स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता और प्रोत्साहन दिए जाएंगे।