शेयर बाजार  का 'बुलबुला फूटना'

बुलबुला फूटना -  क्या है ये खेल?

जब अत्यधिक उत्साह और अवास्तविक मूल्यांकन के कारण शेयरों के मूल्य तेजी से बढ़ते हैं और फिर अचानक गिर जाते हैं।

1865 का बैकबे रिक्लेमेशन बबल

मुंबई के बैकबे इलाके के पुनर्विकास का सपना, शेयरों के अवास्तविक मूल्यों तक पहुंचा, लेकिन अंत में सरकार के फैसले से बुलबुला फूटा और निवेशकों को भारी नुकसान हुआ।

1992 का  हर्षद मेहता  घोटाला

ब्रोकर हर्षद मेहता की हेराफेरी ने बाजार को हिला दिया, शेयरों के मूल्य गिरे और निवेशकों का भरोसा टूटा। यह कॉरपोरेट गवर्नेंस के महत्व को रेखांकित करता है।

2000 का  डॉट-कॉम बबल

इंटरनेट क्रांति के उत्साह में टेक कंपनियों के शेयर आसमान छूने लगे, लेकिन ज्यादातर कंपनियां सिर्फ वादे बेच रही थीं। बुलबुला फूटा और बाजार 50% से ज्यादा गिरा।

2007-08 का सबप्राइम मॉर्गेज संकट

अमेरिका के सबप्राइम मॉर्गेज संकट ने दुनिया के बाजारों को हिलाया, भारतीय बाजार भी 60% से ज्यादा गिरा। यह वैश्विक घटनाओं के प्रभाव को दिखाता है।

2022 का  क्रिप्टो बबल

क्रिप्टोकरेंसी का तेजी से बढ़ता मार्केट भी बुलबुले का खतरा उठा रहा है। हाल के क्रिप्टो प्लेटफॉर्म के ढहने से निवेशकों को बड़ा झटका लगा है।

बुलबुले से  बचने के टिप्स

अति-उत्साह और अफवाहों में न बहें, कंपनियों के fundamentals को समझें, विविधीकरण करें, लक्ष्य तय करें, नियमित निवेश करें और भावनाओं पर काबू रखें।

बुलबुले के  बाद क्या करें?

घबराएं नहीं, अपनी रणनीति पर टिके रहें, जरूरत पड़ने पर शेयर बेचने से न डरें और बाजार में सुधार के लिए धैर्य रखें।

सीखें और आगे बढ़ें

बुलबुले फूटने का इतिहास हमें सावधानी और ज्ञान देता है। निवेश करते समय इन सबकों को याद रखें और बुद्धिमानी से फैसले लें।

Call To Action

आज ही शुरू करें और अपने निवेश लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक रणनीति बनाएं। बुलबुले से बचने के लिए ऊपर बताए गए टिप्स का पालन करें।