How to save tax on selling property in Indiaअपना पुराना घर बेच रहे हैं? आयकर नियमों को समझें, करकी बचत करें !
भारत में निवेश के सबसे लोकप्रिय तरीकों में से एक घर का मालिक होना है. चाहे आप एक आरामदायक आशियाना की तलाश कर रहे हों या दीर्घकालिक संपत्ति निर्माण में रुचि रखते हों, घर खरीदना एक महत्वपूर्ण वित्तीय निर्णय होता है. हालांकि, जब समय आता है कि आपके पुराने घर को अलविदा कहा जाए, तो कर के निहितार्थों पर विचार करना महत्वपूर्ण हो जाता है. अपना पुराना घर बेचना जीवन में एक बड़ा कदम होता है, जिसमें कई तरह की तैयारियों की ज़रूरत होती है. इन तैयारियों में एक महत्वपूर्ण पहलू है आयकर नियमों को समझना. अगर आप इस प्रक्रिया के दौरान कर का बोझ कम करना चाहते हैं, तो कुछ महत्वपूर्ण नियमों और छूटों के बारे में जानकारी होना ज़रूरी है.
यह लेख आपको पुराने घर को बेचते समय लागू होने वाले आयकर नियमों – How to save tax on selling property in India – को समझने में मदद करेगा, ताकि आप अपने लाभ को अधिकतम कर सकें और किसी अप्रिय कर आश्चर्य से बच सकें.
पूंजीगत लाभ क्या है?
अपनी पुरानी संपत्ति (इस मामले में घर) को बेचने पर होने वाले मुनाफे को पूंजीगत लाभ – How to save tax on selling property in India – कहा जाता है. इस लाभ पर आपको आयकर देना होता है. हालांकि, सरकार ने कुछ नियम और छूटें बनाई हैं, जिनका इस्तेमाल करके आप इस कर के बोझ को कम कर सकते हैं.
How to save tax on selling property in India – कॅपीटल गेन्स कर (Capital Gains Tax):
जब आप अपना घर बेचते हैं, तो आप लाभ कमा सकते हैं. इस लाभ पर आपको कॅपीटल गेन्स कर (Capital Gains Tax) देना होता है. कॅपीटल गेन्स की गणना इस प्रकार की जाती है:
बिक्री मूल्य – संपत्ति का अधिग्रहण मूल्य = कॅपीटल गेन्स
संपत्ति का अधिग्रहण मूल्य: यह वह राशि है जिस पर आपने घर खरीदा था. इसमें संपत्ति की मूल खरीद – How to save tax on selling property in India – मूल्य, साथ ही किसी भी सुधार या नवीनीकरण पर किए गए खर्च शामिल हो सकते हैं.
घर बेचने पर दो तरह के पूंजीगत लाभ:
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दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (LTCG): अगर आपने अपना घर दो साल से अधिक समय तक रखा है और फिर बेचा है, तो आपको दीर्घकालिक पूंजीगत – How to save tax on selling property in India – लाभ मिलेगा. इस लाभ पर 20.8% की दर से कर लगता है, लेकिन सरकार ने इसमें भी इंडेक्सेशन का लाभ दिया है. इंडेक्सेशन की वजह से मुद्रास्फीति के प्रभाव को ध्यान में रखकर पूंजीगत लाभ की गणना की जाती है, जिससे कर का बोझ कम होता है.
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अल्पकालिक पूंजीगत लाभ (STCG): अगर आपने अपना घर दो साल से कम समय तक रखा है और फिर बेचा है, तो आपको अल्पकालिक पूंजीगत लाभ मिलेगा. इस लाभ पर आपकी आयकर स्लैब – How to save tax on selling property in India – के अनुसार कर लगता है.
How to save tax on selling property in India – कर बचत के लिए महत्वपूर्ण नियम और छूट:
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धारा 54: धारा 54 के तहत आपको दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ – How to save tax on selling property in India – पर पूरी तरह से छूट मिल सकती है, अगर आप इस लाभ का इस्तेमाल एक नया घर खरीदने या बनाने में करते हैं. हालांकि, इस छूट का लाभ उठाने के लिए कुछ शर्तें पूरी करनी होती हैं. जैसे, नया घर आपको पुराने घर बेचने के एक साल पहले या दो साल बाद – How to save tax on selling property in India – तक खरीदना होगा, या फिर पुराने घर बेचने के तीन साल के अंदर बनाना होगा.
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धारा 54F: अगर आप अपना पुराना घर बेचते हैं और किसी सीनियर सिटीजन आश्रम में निवेश करते हैं, तो आपको पूरे पूंजीगत लाभ – How to save tax on selling property in India – पर छूट मिल सकती है. इसके लिए निवेश की गई राशि कम से कम 50 लाख रुपये होनी चाहिए.
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एक बार में एक ही मकान पर छूट: धारा 54 और 54F का लाभ आप तभी उठा सकते हैं, जब आप किसी एक नए घर की खरीद या निर्माण पर पूंजीगत लाभ – How to save tax on selling property in India – का इस्तेमाल करें. इसका मतलब है कि आप इस छूट का फायदा एक से अधिक घरों पर नहीं ले सकते.
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नए घर को बेचने पर रोक: जिस नए घर पर आपने धारा 54 या 54F का लाभ उठाकर पूंजीगत लाभ – How to save tax on selling property in India – का इस्तेमाल किया है, उसे कम से कम तीन साल तक बेचा नहीं जा सकता. अन्यथा आपको छूट वापस करनी पड़ सकती है.
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1 करोड़ रुपये तक का छूट: यदि आप अपने घर को बेचते हैं और बिक्री से प्राप्त आय का उपयोग एक नया आवासीय संपत्ति खरीदने या निर्माण करने के लिए करते हैं, तो आप 1 करोड़ रुपये तक के पूंजीगत लाभ – How to save tax on selling property in India – पर कर छूट प्राप्त कर सकते हैं. हालांकि, कुछ शर्तें लागू होती हैं, जैसे कि नया घर एक वर्ष के भीतर खरीदा या तीन वर्षों के भीतर निर्माण किया जाना चाहिए.
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मुद्रास्फीति अनुक्रमण: आपके द्वारा बेचे गए घर के अधिग्रहण मूल्य को मुद्रास्फीति के प्रभाव को समायोजित करने के लिए अनुक्रमित किया जाता है. इसका मतलब है कि आप मूल लागत में वृद्धि का दावा कर सकते हैं, जिससे आपके कर योग्य पूंजीगत लाभ – How to save tax on selling property in India – को कम किया जा सकता है.
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ब्याज कटौती: होम लोन पर चुकाए गए ब्याज का एक हिस्सा आयकर से कटौती के रूप में दावा किया जा सकता है. यह कटौती उस महीने के दौरान आपके द्वारा चुकाए गए ब्याज के 30% तक या आपके द्वारा चुकाए गए ऋण के मूल मूल्य के 5% तक, जो भी कम हो, तक सीमित है.
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घर को लंबी अवधि तक रखें: 24 महीने से अधिक समय तक घर रखने से आपको दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ – How to save tax on selling property in India – का लाभ मिलता है, जिस पर कर कम होता है.
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इंडेक्सेशन का लाभ उठाएं: इंडेक्सेशन आपको लाभ – How to save tax on selling property in India – को कम करके कर दायरा कम करने में मदद करता है.
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एक और घर खरीदें: अगर आप बिक्री से होने वाले लाभ को एक साल के भीतर एक नए घर की खरीद या निर्माण में लगाते हैं, तो आप 54(F) धारा के तहत पूंजीगत लाभ – How to save tax on selling property in India – कर से छूट का दावा कर सकते हैं. कुछ शर्तें लागू होती हैं, इसलिए एक चार्टर्ड एकाउंटेंट या कर सलाहकार से सलाह लें.
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हानियों को समायोजित करें: अगर आपने किसी अन्य संपत्ति की बिक्री पर नुकसान उठाया है, तो आप उस नुकसान को अपने घर की बिक्री से हुए लाभ से समायोजित कर सकते हैं.
यह ध्यान रखें कि यह जानकारी केवल सूचनात्मक है और किसी भी कर सलाह के लिए आपको एक चार्टर्ड एकाउंटेंट या कर सलाहकार से परामर्श करना चाहिए. आपके विशिष्ट मामले पर लागू होने वाले कर नियम अलग–अलग हो सकते हैं.
How to save tax on selling property in India – कर दायित्वों का अनुपालन:
पुराने घर को बेचने के बाद, आपको बिक्री और किसी भी लागू करों की रिपोर्ट करना होगा. आपको अपनी बिक्री आय को अपनी आयकर रिटर्न में Schedule D (Capital Gains) – How to save tax on selling property in India – के तहत घोषित करना होगा और किसी भी लागू करों का भुगतान करना होगा.
How to save tax on selling property in India – अन्य महत्वपूर्ण ध्यान देने योग्य बातें:
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घर बेचने के खर्च (जैसे ब्रोकरेज फीस, स्टांप पेपर शुल्क) पूंजीगत लाभ – How to save tax on selling property in India – की गणना में कटौती के रूप में इस्तेमाल किए जा सकते हैं.
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अगर आपने घर में कोई सुधार या मरम्मत का काम करवाया है, तो उसका खर्च भी पूंजीगत लाभ – How to save tax on selling property in India – की गणना में कटौती के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, बशर्ते आपके पास इसके सबूत मौजूद हों.
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अगर आप संयुक्त रूप से किसी घर के मालिक हैं, तो पूंजीगत लाभ – How to save tax on selling property in India – और छूट दोनों को उन सभी मालिकों के बीच उनके स्वामित्व के अनुपात में बांटा जाएगा.
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सरकार समय–समय पर आयकर नियमों में बदलाव करती है, इसलिए नियमों के बारे में नवीनतम जानकारी प्राप्त करना ज़रूरी है.
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सभी दस्तावेज़ों को सावधानी से रखें, क्योंकि आयकर विभाग पूंजीगत लाभ – How to save tax on selling property in India – और छूटों के दावों का सत्यापन कर सकता है.
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अगर आप घर बेचने की योजना बना रहे हैं, तो समय रहते कर बचत की रणनीति बनाएं और इस प्रक्रिया में किसी वित्तीय या कर सलाहकार की मदद लें.
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आयकर विभाग की आधिकारिक वेबसाइट: https://www.incometax.gov.in/iec/foportal/
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एक्सपर्ट राय के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट से संपर्क करें
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ऑनलाइन टैक्स कैलकुलेटर – How to save tax on selling property in India – का इस्तेमाल करके अनुमानित कर देनदारी की गणना करें
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