बाजार में महासंकट: क्यों गिर रहे हैं भारतीय बाजार?
भारतीय बाजार क्यों धड़ाम से गिर रहे हैं? भविष्यवाणियां क्या हैं? निवेशकों को अब क्या करना चाहिए?
भारतीय शेयर बाजार में हाल के दिनों में भारी गिरावट(Big fall in Indian Stock Markets during last 5 days) देखने को मिली है, जिससे निवेशकों की चिंताएं बढ़ गई हैं. कई दिनों तक लगातार गिरावट ने निवेशकों के करोड़ों रुपये डुबो दिए हैं. पिछले पांच सत्रों में, बीएसई सेंसेक्स(BSE Sensex) और निफ्टी 50 (NIFTY 50) में लगभग 3% की गिरावट आई है, जिसके परिणामस्वरूप निवेशकों को लगभग ₹16.97 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है।
यह गिरावट(Big fall in Indian Stock Markets during last 5 days) क्यों हो रही है, इसके पीछे क्या कारण हैं, भविष्य में बाजार की दिशा क्या रहेगी, और निवेशकों को इस स्थिति में क्या करना चाहिए, इन सभी सवालों के जवाब इस लेख में देने का प्रयास किया गया है.
भारतीय बाजारों में गिरावट के प्रमुख कारण:
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अमेरिकी व्यापार नीतियों का प्रभाव: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प(Donald Trump) द्वारा स्टील और एल्युमिनियम आयात पर 25% टैरिफ लगाने के निर्णय ने वैश्विक व्यापार तनाव को बढ़ा दिया है, जिससे भारतीय बाजार भी प्रभावित हुए हैं।
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विदेशी निवेशकों की निकासी(FII Exit): अक्टूबर 2024 से विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयरों से $10 बिलियन से अधिक की निकासी की है, जो बाजार में गिरावट का एक प्रमुख कारण है।
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अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीति: अमेरिकी फेडरल रिजर्व(US Federal Reserve) द्वारा ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी की जा रही है. इसका असर विकासशील देशों की मुद्राओं पर पड़ रहा है, और भारत भी इससे अछूता नहीं है. डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी भी बाजार में गिरावट का एक अहम कारण है.
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भू–राजनीतिक तनाव: रूस-यूक्रेन युद्ध(Russia–Ukraine War) और अन्य वैश्विक तनावों ने भी बाजार में अनिश्चितता का माहौल पैदा कर दिया है. इन तनावों का असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है, और इसका असर भारतीय बाजार पर भी देखने को मिल रहा है.
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कमजोर कॉर्पोरेट आय(Weak corporate earnings): घरेलू कंपनियों की तिमाही आय उम्मीद से कम रही है, जिससे निवेशकों की धारणा नकारात्मक हुई है।
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रुपये का अवमूल्यन: डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी ने भी विदेशी निवेशकों के विश्वास को प्रभावित किया है।
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बढ़ती बॉन्ड यील्ड्स(Rising Bond yields): अमेरिकी बॉन्ड यील्ड्स में वृद्धि से वैश्विक निवेशक सुरक्षित निवेश की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे उभरते बाजारों से धन की निकासी हो रही है।
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कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें: कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती है। भारत कच्चे तेल का एक बड़ा आयातक देश है, और तेल की कीमतों में वृद्धि से व्यापार घाटा (Trade Deficit) बढ़ता है। इससे रुपये की कीमत में गिरावट आती है और मुद्रास्फीति (Inflation) बढ़ती है। यह स्थिति निवेशकों के लिए चिंता का विषय बन गई है।
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मुनाफावसूली(Profit Booking): कई बार बाजार में तेजी के बाद मुनाफावसूली भी देखने को मिलती है. जब बाजार एक निश्चित स्तर पर पहुंच जाता है, तो कुछ निवेशक अपने शेयर बेचकर मुनाफा कमाना चाहते हैं, जिससे बाजार में गिरावट आती है.
भविष्य की संभावनाएं:
बाजार के भविष्य के बारे में निश्चित रूप से कुछ कहना मुश्किल है. कई कारक बाजार की दिशा को प्रभावित कर सकते हैं. हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार में अभी और गिरावट(Big fall in Indian Stock Markets during last 5 days) देखने को मिल सकती है. वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और FIIs की बिकवाली का दबाव बाजार पर बना रह सकता है. कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि बाजार में जल्द ही सुधार देखने को मिल सकता है.
हालांकि वर्तमान में बाजार में अस्थिरता है, दीर्घकालिक दृष्टिकोण से भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियादी संरचना मजबूत है। मजबूत कॉर्पोरेट बैलेंस शीट्स(Corporate Balance Sheets), आरबीआई की तटस्थ मौद्रिक नीति, और सरकार की संरचनात्मक सुधार नीतियां भविष्य में बाजार को स्थिरता प्रदान कर सकती हैं।
यहां कुछ महत्वपूर्ण बिंदु दिए गए हैं जो भविष्य के बाजार की दिशा को समझने में मदद कर सकते हैं:
1. वैश्विक स्थिति में सुधार
भारतीय बाजारों में सुधार तभी संभव है जब वैश्विक बाजारों में स्थिरता आएगी। अमेरिकी फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) की मौद्रिक नीति और चीन की आर्थिक स्थिति पर नजर रखना जरूरी है।
2. FIIs का वापस लौटना
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) का भारतीय बाजारों में वापस लौटना बाजारों के लिए एक सकारात्मक संकेत होगा। FIIs के निवेश से बाजार में तरलता बढ़ेगी और गिरावट रुकेगी।
3. कच्चे तेल की कीमतों में कमी
कच्चे तेल की कीमतों में कमी आने से भारतीय अर्थव्यवस्था को राहत मिलेगी। इससे रुपये की कीमत में सुधार होगा और मुद्रास्फीति पर नियंत्रण होगा।
4. सरकारी नीतियों में सुधार
सरकार की आर्थिक नीतियों में सुधार और निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल बनाने से बाजारों में सुधार हो सकता है।
निवेशकों को अब क्या करना चाहिए?
बाजार में गिरावट(Big fall in Indian Stock Markets during last 5 days) के समय निवेशकों को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए:
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घबराएं नहीं, धैर्य रखें: बाजार की अस्थिरता के दौरान घबराहट में निर्णय लेने से बचें। बाजार में गिरावट एक सामान्य घटना है. निवेशकों को घबराना नहीं चाहिए और अपने निवेश के फैसले पर पुनर्विचार नहीं करना चाहिए.
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अपने निवेश लक्ष्यों पर ध्यान दें: निवेशकों को अपने निवेश लक्ष्यों पर ध्यान देना चाहिए. अगर उनका निवेश लक्ष्य दीर्घकालिक है, तो उन्हें बाजार की गिरावट से ज्यादा परेशान नहीं होना चाहिए.
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मूल्यांकन पर ध्यान दें: उच्च मूल्यांकन वाले शेयरों से सावधान रहें और मजबूत बुनियादी सिद्धांतों वाली कंपनियों में निवेश करें।
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विविधीकरण करें: निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में विविधता रखनी चाहिए. उन्हें अपने निवेश को विभिन्न क्षेत्रों में फैलाना चाहिए, ताकि किसी एक क्षेत्र में गिरावट(Big fall in Indian Stock Markets during last 5 days)का असर पूरे पोर्टफोलियो पर न पड़े.
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अनुशासित रहें: निवेशकों को अनुशासित रहना चाहिए और बाजार के उतार-चढ़ाव से प्रभावित होकर अपने निवेश के फैसले नहीं बदलने चाहिए.
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बाजार का विश्लेषण करें: बाजार में निवेश करने से पहले बाजार का विश्लेषण करना जरूरी है. आपको विभिन्न आर्थिक कारकों, कंपनियों के प्रदर्शन, और वैश्विक घटनाओं पर ध्यान देना चाहिए.
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नियमित रूप से निवेश करें (SIP): सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए नियमित रूप से निवेश करें। इससे आप बाजार के उतार-चढ़ाव का फायदा उठा सकते हैं।
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लंबी अवधि के लिए निवेश करें: शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव(Big fall in Indian Stock Markets during last 5 days) आम बात है। अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं, तो आपको बाजार के उतार-चढ़ाव से डरने की जरूरत नहीं है। लंबी अवधि में बाजार में सुधार होने की संभावना अधिक होती है।
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सलाह लें: अगर निवेशकों को बाजार के बारे में कोई जानकारी नहीं है, तो उन्हें वित्तीय सलाहकार से सलाह लेनी चाहिए.