ट्रम्प टैरिफ तूफान: भारत और दुनियाके बाजारों को 100% चुनौति?
परिचय(Introduction):
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प(Donald Trump) ने हाल ही में अपने नए टैरिफ (आयात शुल्क) नीति की घोषणा की है, जिसने पूरी दुनिया में हलचल मचा दी है। इसे “ट्रम्प टैरिफ वॉर(Trump Tariff War)” कहा जा रहा है। यह एक ऐसा व्यापारिक युद्ध(1 Tariff Trade War, Many Crises) है, जिसमें अमेरिका ने कई देशों से आने वाले सामानों पर भारी शुल्क लगा दिया है। इसका मकसद अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और विदेशी व्यापार को अपने हिसाब से ढालना है। लेकिन इस कदम से विश्व अर्थव्यवस्थाएं और बाजार कैसे प्रभावित होंगे? खासकर भारत जैसे देश पर इसका क्या असर पड़ेगा? आइए, इस लेख में हम इसे विस्तार से समझते हैं।
ट्रम्प टैरिफ वॉर क्या है?( What is the Trump tariff war?)
“ट्रम्प टैरिफ वॉर(1 Tariff Trade War, Many Crises)” एक व्यापार नीति है, जिसमें अमेरिका ने दुनिया भर के देशों से आयात होने वाले सामानों पर अतिरिक्त कर (टैरिफ) लगाने का फैसला किया है। 7 अप्रैल, 2025 तक की ताजा खबरों के मुताबिक, ट्रम्प ने सभी देशों के लिए 10% का आधारभूत टैरिफ लागू किया है, जो 5 अप्रैल से शुरू हो चुका है। इसके अलावा, कुछ खास देशों पर और भी ज्यादा शुल्क लगाए गए हैं। मसलन, चीन पर 50%, वियतनाम पर 46%, और भारत पर 26% का अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया है।
ट्रम्प का कहना है कि यह कदम अमेरिका को “दुरुपयोग करने वाले देशों” से बचाने के लिए है। उनका मानना है कि कई देश अमेरिका के साथ व्यापार में अनुचित लाभ उठाते हैं, जिसे वह “आर्थिक क्रांति(Economic Revolution)” के जरिए ठीक करना चाहते हैं। लेकिन इस नीति ने दुनिया भर में चिंता बढ़ा दी है। कई देशों ने जवाबी टैरिफ(1 Tariff Trade War, Many Crises) की धमकी दी है, जिससे एक वैश्विक व्यापार युद्ध(Global Trade War) की आशंका पैदा हो गई है।
टैरिफ वॉर की पृष्ठभूमि(Background of the Tariff War):
ट्रम्प पहले भी अपने कार्यकाल में टैरिफ(1 Tariff Trade War, Many Crises) का इस्तेमाल कर चुके हैं। 2018 में, उन्होंने चीन और अन्य देशों पर स्टील और एल्यूमिनियम(Steel and Aluminum) जैसे सामानों पर शुल्क लगाया था। लेकिन इस बार का टैरिफ कहीं ज्यादा व्यापक और सख्त है। 7 अप्रैल, 2025 को ट्रम्प ने चीन को चेतावनी दी कि अगर उसने अपने 34% जवाबी टैरिफ को वापस नहीं लिया, तो अमेरिका 8 अप्रैल से 50% अतिरिक्त शुल्क लगा देगा। इस घोषणा के बाद वैश्विक बाजारों में भारी गिरावट देखी गई।
यह युद्ध सिर्फ अमेरिका और चीन तक सीमित नहीं है। भारत, जापान, यूरोपीय देश, और यहां तक कि अमेरिका के करीबी सहयोगी जैसे कनाडा और मैक्सिको भी इसके दायरे में हैं। ट्रम्प(1 Tariff Trade War, Many Crises) का कहना है, “कभी-कभी इलाज के लिए कड़वी दवा लेनी पड़ती है।” लेकिन सवाल यह है कि क्या यह “दवा” दुनिया को ठीक करेगी या और बीमार बना देगी?
विश्व अर्थव्यवस्थाओं पर प्रभाव(Effects on world Economies):
ट्रम्प के टैरिफ का असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ रहा है। आइए इसे कुछ बिंदुओं में समझते हैं:
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वैश्विक बाजारों में गिरावट (Decline in Global Markets):
7 अप्रैल, 2025 की खबरों के अनुसार, ट्रम्प की टैरिफ(1 Tariff Trade War, Many Crises) घोषणा के बाद वैश्विक शेयर बाजारों में भारी उथल-पुथल मच गई। अमेरिका का डाउ जोन्स इंडेक्स (Dow Jones Index) 1,363 अंक गिर गया, जो पिछले हफ्ते की 1,500 अंकों की गिरावट के बाद और भी चिंताजनक है। एशिया में टोक्यो, हांगकांग और सिडनी जैसे बाजार दशकों की सबसे बड़ी गिरावट के गवाह बने। भारत में सेंसेक्स (Sensex) और निफ्टी (Nifty) भी 4% तक लुढ़क गए।
इसका कारण यह है कि निवेशक जोखिम से बचने के लिए सुरक्षित संपत्तियों जैसे सोना(Gold) और सरकारी बॉन्ड(G-secs) की ओर भाग रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह व्यापार युद्ध लंबा चला, तो वैश्विक मंदी की आशंका बढ़ सकती है।
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व्यापार में रुकावट (Business Interruption):
टैरिफ से सामानों की कीमतें बढ़ रही हैं, जिससे वैश्विक व्यापार(Global Trade) की रफ्तार धीमी पड़ रही है। मिसाल के तौर पर, चीन से आने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स और वियतनाम से आने वाले कपड़ों की कीमतें अमेरिका में बढ़ेंगी। इससे न सिर्फ अमेरिकी उपभोक्ताओं को नुकसान होगा, बल्कि इन देशों के निर्यात पर भी असर पड़ेगा।
जाने-माने अर्थशास्त्री जेपी मॉर्गन(JP Morgan) के ब्रूस कासमैन(Bruce Kasman) ने चेतावनी दी है कि “अगर यह नीति जारी रही, तो यह वैश्विक अर्थव्यवस्था को मंदी की ओर धकेल सकती है।” कई देशों ने जवाबी टैरिफ की तैयारी शुरू कर दी है, जिससे व्यापार की पूरी व्यवस्था चरमरा सकती है।
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मुद्रास्फीति और कीमतों में उछाल (Inflation and Price Rise)
टैरिफसे(1 Tariff Trade War, Many Crises) आयातित सामानों की कीमतें बढ़ रही हैं, जिससे मुद्रास्फीति (महंगाई- Inflation) का खतरा मंडरा रहा है। अमेरिका में पहले से ही महंगाई की समस्या थी, और अब यह और बढ़ सकती है। यूरोप और एशिया में भी कीमतें बढ़ने की आशंका है, क्योंकि आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) प्रभावित हो रही है।
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तेल और कमोडिटी की कीमतों में उतार-चढ़ाव (Fluctuations in oil and commodity prices):
7 अप्रैल, 2025 को खबर आई कि अमेरिकी कच्चे तेल की कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल से नीचे चली गई, जो अप्रैल 2021 के बाद सबसे कम है। इसका कारण वैश्विक मांग (Global Demand) में कमी की आशंका है। अगर अर्थव्यवस्था धीमी पड़ी, तो तेल और अन्य कमोडिटी की मांग घट सकती है, जिससे उत्पादक देशों को नुकसान होगा।
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देशों की प्रतिक्रिया (Response of countries):
कई देश इस टैरिफ वॉर(1 Tariff Trade War, Many Crises) से निपटने की कोशिश कर रहे हैं। ताइवान ने शून्य टैरिफ(Zero Tariff) की पेशकश की है, जबकि यूरोपीय संघ जवाबी शुल्क लगाने की योजना बना रहा है। चीन ने साफ कहा है कि वह “अंत तक लड़ेगा।” भारत ने अभी तक जवाबी टैरिफ की घोषणा नहीं की है, लेकिन वह अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा है।
भारतीय अर्थव्यवस्था और बाजारों पर प्रभाव(Impact on Indian economy and markets):
भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। लेकिन ट्रम्प का टैरिफ भारत के लिए चुनौतियां और अवसर दोनों लेकर आया है। आइए इसे विस्तार से देखें:
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निर्यात पर असर (Impact on exports):
अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है। 2023 में भारत का वैश्विक निर्यात में हिस्सा 2.4% था, जिसमें से 1.8% माल और 4.3% सेवाओं का था। ट्रम्प ने भारत से आने वाले सामानों पर 26% का अतिरिक्त टैरिफ लगाया है, जो 10% आधारभूत शुल्क के ऊपर है। इससे इलेक्ट्रॉनिक्स, रत्न-आभूषण, और कपड़ा जैसे क्षेत्र प्रभावित होंगे।
उदाहरण के लिए, भारत से अमेरिका को झींगा (Shrimp) का निर्यात करीब 2.4 बिलियन डॉलर का है। लेकिन अब इसकी कीमत बढ़ने से मांग घट सकती है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि भारत का वैश्विक निर्यात में(1 Tariff Trade War, Many Crises) हिस्सा कम होने के कारण लंबे समय तक बड़ा नुकसान नहीं होगा।
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बाजार में अस्थिरता (Market Volatility):
7 अप्रैल, 2025 को भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई। सेंसेक्स 2,226 अंक (2.95%) गिरकर 73,137.90 पर बंद हुआ ओर निफ्टी 742.85 अंक (3.24%) की गिरावट के साथ 22,161.60 पर बंद हुआ। । यह वैश्विक बाजारों के असर का नतीजा था। निवेशक डर रहे हैं कि अगर व्यापार युद्ध बढ़ा, तो भारत की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होगी।
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अवसरों की संभावना (Possibility of Opportunities):
कई विशेषज्ञों का मानना है कि भारत इस संकट में फायदा उठा सकता है। मिसाल के तौर पर, चीन पर 50% टैरिफ(1 Tariff Trade War, Many Crises) के कारण अमेरिकी कंपनियां भारत जैसे देशों की ओर रुख कर सकती हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजीनियरिंग सामान, और कपड़ों में भारत को नया बाजार मिल सकता है।
एनडीटीवी(NDTV) से बात करते हुए पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स(PHDCCI) के सीईओ रंजीत मेहता(Ranjit Mehta) ने कहा, “नए व्यापार मॉडल और नीतियां इस टैरिफ वॉर से उभरेंगी। भारत ने महामारी जैसे संकट में भी अवसर ढूंढे थे।” उनका मानना है कि भारत की 1.4 अरब की आबादी और विशाल उपभोग इसे मजबूत बनाते हैं।
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आर्थिक विकास पर प्रभाव (Effects on Economic Growth):
भारत ने 2025-26 के लिए 6.3-6.8% विकास दर का अनुमान लगाया था। लेकिन मॉर्गन स्टेनली(Morgan Stanley) का कहना है कि टैरिफ से इसमें 30-60 आधार अंकों की कटौती हो सकती है। फिर भी, भारत की घरेलू मांग और मजबूत आर्थिक नीतियां इसे संकट से बचा सकती हैं।
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नए बाजारों की तलाश(Looking for New Markets)
भारत अब यूरोपीय संघ(European Union) जैसे नए बाजारों की ओर देख रहा है। मिसाल के तौर पर, समुद्री उत्पादों के लिए यूरोप में तेजी से मंजूरी की प्रक्रिया शुरू की गई है। इससे अमेरिका पर निर्भरता कम होगी।
ट्रम्प टैरिफ वॉर का भविष्य(The Future of the Trump Tariff War):
ट्रम्प का यह कदम कितना सफल होगा, यह अभी साफ नहीं है। कुछ लोग इसे “आर्थिक परमाणु युद्ध(Economic Nuclear War)” कह रहे हैं, तो कुछ का मानना है कि यह अमेरिका को मजबूत करेगा। लेकिन एक बात तय है—यह नीति दुनिया भर में बदलाव लाएगी। भारत जैसे देशों के लिए यह चुनौती भी है और अवसर भी।
अगर यह युद्ध लंबा चला, तो वैश्विक मंदी(1 Tariff Trade War, Many Crises) का खतरा बढ़ेगा। लेकिन अगर देश समझौते कर लें, तो हालात सुधर सकते हैं। ट्रम्प ने कहा है कि 50 से ज्यादा देश उनके साथ बातचीत करना चाहते हैं। भारत भी इसमें शामिल है।