भारत सरकार ने ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट को खारिज किया: 111 वीं रैंकिंग पर आपत्ति

ग्लोबल हंगर इंडेक्स

ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट को भारत सरकार ने क्यों खारिज किया और किस आधार पर?

ग्लोबल हंगर इंडेक्स(GHI) एक वार्षिक रिपोर्ट है जो दुनिया भर में भूख और कुपोषण को मापने के लिए चार संकेतकों का उपयोग करती है:

2023 के GHI रिपोर्ट में भारत को 125 देशों में से 111वें स्थान पर रखा गया है, जो दर्शाता है कि देश में भूख की स्थिति गंभीर है। हालांकि, भारत सरकार ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है और कहा है कि यह गलत और पूर्वाग्रहपूर्ण है।

भारत सरकार ने GHI रिपोर्ट को खारिज करने के लिए कई आधार दिए हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं:

  • GHI रिपोर्ट के चार संकेतकों में से तीन बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित हैं और ये देश की पूरी आबादी का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

  • GHI रिपोर्ट के लिए उपयोग किए गए आंकड़े पुराने हैं और इनमें कुछ त्रुटियां भी हैं।

  • GHI रिपोर्ट में भारत की खाद्य सुरक्षा और पोषण योजनाओं की अनदेखी की गई है।

  • GHI रिपोर्ट को जर्मनी में स्थित एक गैर सरकारी संगठन द्वारा प्रकाशित किया जाता है, जिसकी कार्यप्रणाली पारदर्शी नहीं है।

भारत सरकार ने यह भी कहा है कि GHI रिपोर्ट देश की छवि को खराब करने का एक प्रयास है। सरकार ने दावा किया है कि भारत ने पिछले कुछ वर्षों में भूख और कुपोषण को कम करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है और सरकार इस दिशा में निरंतर काम कर रही है।

GHI रिपोर्ट खारिज करने के लिए भारत सरकार के आधारों की वैधता:

भारत सरकार द्वारा GHI रिपोर्ट को खारिज करने के लिए दिए गए आधारों की वैधता पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं व्यक्त की गई हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार के आधार सही हैं और GHI रिपोर्ट में वास्तव में कुछ त्रुटियां हैं। अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार के आधार कमजोर हैं और GHI रिपोर्ट को खारिज करने का वास्तविक कारण देश की खराब रैंकिंग है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि GHI रिपोर्ट दुनिया भर में भूख और कुपोषण को मापने के लिए सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले सूचकांकों में से एक है। यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के आंकड़ों पर आधारित है। हालांकि, GHI रिपोर्ट में कुछ कमियां भी हैं। उदाहरण के लिए, यह रिपोर्ट केवल चार संकेतकों का उपयोग करती है, जो भूख और कुपोषण की पूरी तस्वीर को प्रस्तुत नहीं करते हैं। इसके अलावा, इस रिपोर्ट के लिए उपयोग किए गए कुछ आंकड़े पुराने हो सकते हैं।

निष्कर्ष:

ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट दुनिया भर में भूख और कुपोषण को मापने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है। हालांकि, इस रिपोर्ट में कुछ कमियां भी हैं। भारत सरकार ने GHI रिपोर्ट को खारिज कर दिया है और कहा है कि यह गलत और पूर्वाग्रहपूर्ण है। सरकार ने इस रिपोर्ट को खारिज करने के लिए कई आधार दिए हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख आधार इस प्रकार हैं:

  • GHI रिपोर्ट के चार संकेतकों में से तीन बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित हैं और ये देश की पूरी आबादी का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

  • GHI रिपोर्ट के लिए उपयोग किए गए आंकड़े पुराने हैं और इनमें कुछ त्रुटियां भी हैं।

  • GHI रिपोर्ट में भारत की खाद्य सुरक्षा और पोषण योजनाओं की अनदेखी की गई है।

  • GHI रिपोर्ट को जर्मनी में स्थित एक गैर सरकारी संगठन द्वारा प्रकाशित किया जाता है, जिसकी कार्यप्रणाली पारदर्शी नहीं है।

भारत सरकार ने GHI रिपोर्ट को खारिज करने के लिए दिए गए आधारों की वैधता पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं व्यक्त की गई हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार के आधार सही हैं और GHI रिपोर्ट में वास्तव में कुछ त्रुटियां हैं। अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार के आधार कमजोर हैं और GHI रिपोर्ट को खारिज करने का वास्तविक कारण देश की खराब रैंकिंग है।

GHI रिपोर्ट खारिज करने के लिए भारत सरकार के आधारों की वैधता पर चर्चा करते समय, निम्नलिखित बातों पर विचार करना महत्वपूर्ण है:

  • GHI रिपोर्ट के चार संकेतकों में से तीन बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित हैं। यह सच है कि GHI रिपोर्ट के चार संकेतकों में से तीन बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित हैं। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बच्चों के स्वास्थ्य को भूख और कुपोषण के सबसे महत्वपूर्ण संकेतों में से एक माना जाता है।

  • GHI रिपोर्ट के लिए उपयोग किए गए आंकड़े पुराने हैं और इनमें कुछ त्रुटियां भी हैं। यह भी सच है कि GHI रिपोर्ट के लिए उपयोग किए गए आंकड़े पुराने हो सकते हैं। हालांकि, GHI रिपोर्ट के प्रकाशकों का दावा है कि वे इन त्रुटियों को कम करने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं।

  • GHI रिपोर्ट में भारत की खाद्य सुरक्षा और पोषण योजनाओं की अनदेखी की गई है। यह भी सच है कि GHI रिपोर्ट में भारत की खाद्य सुरक्षा और पोषण योजनाओं की अनदेखी की गई है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि GHI रिपोर्ट एक व्यापक रिपोर्ट है जो दुनिया भर में भूख और कुपोषण को मापती है। यह भारत की सभी खाद्य सुरक्षा और पोषण योजनाओं का एक विस्तृत विवरण प्रदान करने के लिए डिज़ाइन नहीं किया गया है।

  • GHI रिपोर्ट को जर्मनी में स्थित एक गैर सरकारी संगठन द्वारा प्रकाशित किया जाता है, जिसकी कार्यप्रणाली पारदर्शी नहीं है। यह भी सच है कि GHI रिपोर्ट को जर्मनी में स्थित एक गैर सरकारी संगठन द्वारा प्रकाशित किया जाता है। हालांकि, GHI रिपोर्ट के प्रकाशकों का दावा है कि उनकी कार्यप्रणाली पारदर्शी है। वे अपने डेटा और विश्लेषण के लिए उपयोग किए गए तरीकों के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं।

इन बातों पर विचार करने के बाद, यह निष्कर्ष निकालना मुश्किल है कि भारत सरकार द्वारा GHI रिपोर्ट को खारिज करने के लिए दिए गए आधार सही हैं या नहीं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार के आधार सही हैं और GHI रिपोर्ट में वास्तव में कुछ त्रुटियां हैं। अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार के आधार कमजोर हैं और GHI रिपोर्ट को खारिज करने का वास्तविक कारण देश की खराब रैंकिंग है।

हालांकि, यह स्पष्ट है कि GHI रिपोर्ट एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो दुनिया भर में भूख और कुपोषण को मापने में मदद करता है। भारत सरकार को GHI रिपोर्ट की आलोचनाओं को गंभीरता से लेना चाहिए और यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए कि भारत में भूख और कुपोषण को कम करने के लिए प्रभावी उपाय किए जा रहे हैं।

 

FAQs:

  1. ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट क्या है?

ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) एक वार्षिक रिपोर्ट है जो दुनिया भर में भूख और कुपोषण को मापने के लिए चार संकेतकों का उपयोग करती है:

  • बाल कुपोषण (Underweight children)

  • बच्चों में बौनापन (Stunting in children)

  • बच्चों में कम वजन (Wasting in children)

  • बाल मृत्यु दर (Child mortality rate)

  1. भारत सरकार ने ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट को क्यों खारिज किया?

भारत सरकार ने ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट को खारिज करने के लिए कई आधार दिए हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं:

  • GHI रिपोर्ट के चार संकेतकों में से तीन बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित हैं और ये देश की पूरी आबादी का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

  • GHI रिपोर्ट के लिए उपयोग किए गए आंकड़े पुराने हैं और इनमें कुछ त्रुटियां भी हैं।

  • GHI रिपोर्ट में भारत की खाद्य सुरक्षा और पोषण योजनाओं की अनदेखी की गई है।

  • GHI रिपोर्ट को जर्मनी में स्थित एक गैर सरकारी संगठन द्वारा प्रकाशित किया जाता है, जिसकी कार्यप्रणाली पारदर्शी नहीं है।

  1. ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट की आलोचनाएं क्या हैं?

GHI(ग्लोबल हंगर इंडेक्स) रिपोर्ट की कई आलोचनाएं हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं:

  • GHI रिपोर्ट केवल चार संकेतकों का उपयोग करती है, जो भूख और कुपोषण की पूरी तस्वीर को प्रस्तुत नहीं करते हैं।

  • GHI रिपोर्ट के लिए उपयोग किए गए कुछ आंकड़े पुराने हो सकते हैं।

  • GHI रिपोर्ट भारत की खाद्य सुरक्षा और पोषण योजनाओं की अनदेखी करती है।

  • GHI(ग्लोबल हंगर इंडेक्स) रिपोर्ट को जर्मनी में स्थित एक गैर सरकारी संगठन द्वारा प्रकाशित किया जाता है, जिसकी कार्यप्रणाली पारदर्शी नहीं है।

  1. भारत सरकार ने भूख और कुपोषण को कम करने के लिए क्या कदम उठाए हैं?

भारत सरकार ने भूख और कुपोषण को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं:

  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSA): यह योजना देश की लगभग आधी आबादी को सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्रदान करती है।

  • प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना (PMMVY): यह योजना गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को आर्थिक सहायता प्रदान करती है।

  • आंगनबाड़ी योजना: यह योजना बच्चों और गर्भवती महिलाओं को पोषण संबंधी सेवाएं प्रदान करती है।

  • पोषण अभियान: यह अभियान कुपोषण को कम करने और बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए एक मिशन मोड दृष्टिकोण अपनाता है।

  1. भारत में भूख और कुपोषण की क्या स्थिति है?

भारत में भूख और कुपोषण की स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। 2023 की GHI(ग्लोबल हंगर इंडेक्स)रिपोर्ट में भारत को 125 देशों में से 111वें स्थान पर रखा गया है, जो दर्शाता है कि देश में भूख की स्थिति गंभीर है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि GHI(ग्लोबल हंगर इंडेक्स)रिपोर्ट में केवल चार संकेतकों का उपयोग किया गया है और ये देश की पूरी आबादी का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

भारत सरकार ने भूख और कुपोषण को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। सरकार को GHI(ग्लोबल हंगर इंडेक्स)रिपोर्ट की आलोचनाओं को गंभीरता से लेना चाहिए और यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए कि भारत में भूख और कुपोषण को कम करने के लिए प्रभावी उपाय किए जा रहे हैं।

 

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